वर्तमान समय में भारत तथा हिन्दू समाज पर अंतरराष्ट्रीय षडयंत्रों के आधार पर चौतरफा हमले हो रहें हैं : मिलिंद परांडे

हरिद्वार उत्‍तराखण्‍ड

हरिद्वार। विश्व हिन्दू परिषद के तत्वाधान में पूज्य साध्वी संगोष्ठी का आयोजन श्री कृष्ण निवास आश्रम सन्यास रोड़ कनखल हरिद्वार में किया गया. विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में संपूर्ण भारत से महिला संत सम्मिलित हुई. संगोष्ठी का उद्घाटन विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक दिनेश चंद्र, केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे, महामंडलेश्वर स्वामी साध्वी मैत्रेय गिरी महाराज, साध्वी विभानंद गिरी महाराज, साध्वी दिव्यचेतना महाराज, श्रीमहंत साध्वी डा.प्रज्ञा भारती, साध्वी गार्गी चेतन्या, साध्वी गंगानाथ ने संयुक्त रुप से किया.

संगोष्ठी में विषय प्रस्तावना रखते हुए विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि वर्तमान समय में भारत तथा हिन्दू समाज पर अंतरराष्ट्रीय षडयंत्रों के आधार पर चौतरफा हमले हो रहें हैं. भारत ने अपनी सनातन संस्कृति, धर्म और समाज सदैव रक्षा की हैं. देश और धर्म की रक्षा के लिए हमारे महान पूर्वजों ने अध्यात्म, नैतिक, जीवन मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग और संघर्ष किया हैं. आज जीवन मूल्यों को लेकर हम जीवित हैं, उन पर आघात हो रहें हैं. परिवार, कुटुंब और वैवाहिक व्यवस्थाओं को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. विदेशी षडयंत्रों की टूल किट के माध्यम से समाज में समलैंगिकता, लिव इन रिलेशनशिप जैसे घृणित विषय स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. देश के सीमावर्ती राज्य, वनवासी, आदिवासी, वंचित–पिछड़े क्षेत्रों में धर्मांतरण भीषण गति से चल रहा हैं.

मिलिंद परांडे ने महिला संतो से निवेदन किया कि अपने कार्यक्षेत्रों में सघन संपर्क और प्रवास करें. हिंदुओं को धर्म आस्था से जोड़ने की आवश्यकता हैं. हिंदुओं में पलायन नहीं पराक्रम का भाव भरने की आवश्यकता हैं. वर्तमान समय में हिंदुओं में शोर्य पराक्रम का जागरण, परिवारों में संस्कार देना, परिवार प्रबोधन, कुटुंब प्रबोधन, समाज प्रबोधन करने में महिला संतो की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती हैं.

साध्वी प्रज्ञा भारती ने धर्मांतरण तथा लव जेहाद विषय पर कहा कि धर्म पर हो रहें आघात का प्रतिकार संत समाज को करना चाहिए क्योंकि हिन्दू समाज आज संस्कारों के अभाव में निरीह प्राणी के समान है. संत राष्ट्र धर्म और समाज की रक्षा को जीवन समर्पित करता है. कन्याओं को संस्कारित करने से पूर्व माताओं को संस्कृति और संस्कार की जानकारी देना आवश्यक हैं. संतो को आत्मीयता, सहयोग, संपर्क, प्रवास के माध्यम से समाज को धर्म के प्रति विश्वास और अडिगता सिखाने की आवश्यकता है. महामंडलेश्वर स्वामी साध्वी मैत्रेय गिरी महाराज ने संगोष्ठी में कहा कि सत्संग, कथा, जागरण के माध्यम से हमें समाज का प्रबोधन करना चाहिए.

विश्व हिन्दू परिषद की पूज्य साध्वी संगोष्ठी में प्रमुख रूप से साध्वी राजेश्वरी गुजरात, साध्वी राधिका जबलपुर, साध्वी शोभा रामपुर, साध्वी प्रियाशरण जोधपुर, साध्वी शिरोमणि हरिद्वार, साध्वी चंद्रकला छत्तीसगढ़, साध्वी कल्याणी बंगाल, साध्वी जागृति चेतना, साध्वी ज्योतिर्मय, साध्वी साधना महाराष्ट्र, साध्वी सत्यनिष्ठा राजस्थान, साध्वी निर्मला सतना के साथ अनेक महिला संत साध्वियों ने उक्त विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया. विश्व हिन्दू परिषद की पूज्य साध्वी संगोष्ठी के आयोजन में प्रमुख रूप से विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी ताई, प्रज्ञा महाला राष्ट्रीय संयोजिका दुर्गावाहिनी, सरोज सोनी राष्ट्रीय सहसंयोजिका मातृशक्ति, विमला शुक्ला क्षेत्रीय संयोजिका मातृशक्ति, रीना शर्मा क्षेत्रीय संयोजिका दुर्गावाहिनी, संध्या कौशिक प्रांत उपाध्यक्षा विहिप उत्तराखण्ड, नीता कपूर प्रांत संयोजिका मातृशक्ति, नीलम त्रिपाठी प्रांत संयोजिका दुर्गावाहिनी सम्मिलित रही.

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