प्रभू श्री राम के भोग हेतू ननिहाल से चावल ससुराल नेपाल से विशेष भोग सामग्री के साथ संपूर्ण देश से पहुंचेंगे विशेष उपहार

उत्‍तराखण्‍ड नई दिल्ली राष्ट्रीय हरिद्वार

अयोध्या (पंकज चौहान) – अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में भगवान रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात भगवान रामलला को विशेष भोग लगाया जाएगा, जिसमें श्रीराम के ननिहाल के चावल और ससुराल पक्ष का मेवा भी सम्मिलित होगा. भगवान के भोग के लिए उनकी ननिहाल छत्तीसगढ़ से 3 हजार क्विंटल चावल अयोध्या आएगा. यह भगवान को भोग लगाने हेतू अब तक की सबसे बड़ी चावल की खेप होगी, जो अयोध्या पहुंचेगी. भोग चावल को छत्तीसगढ़ के समस्त क्षेत्रों से एकत्र किया गया है. भगवान राम की ससुराल जनकपुर नेपाल से वस्त्र, फल, मेवा और मिठाइयों के अलावा भार भी आएगा, जिसमें 51 प्रकार की मिठाइयां, दही, मक्खन और चांदी के बर्तन शामिल होंगे. इसके अतिरिक्त उपहारों से सजे 1100 थाल भी सम्मिलित होंगे.

उत्तर प्रदेश के एटा जिले से भगवान रामलला के दरबार में अष्टधातु का 2100 किलो का विशेष घंटा पहुंचेगा, घंटे की चौड़ाई 15 फुट और अंदर की चौड़ाई 5 फुट है. यह देश का सबसे बड़ा घंटा होगा, जिसकी लागत 25 लाख रुपये है. घंटे को बनाने में 400 कर्मचारी जुटे हुए हैं और इसे बनाने में एक साल का समय लगा है. भगवान रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए गुजरात के वडोदरा से 108 फीट लंबी अगरबत्ती अयोध्या भेजी जा रही है. अगरबत्ती को पंचगव्य और हवन सामग्री के साथ गाय के गोबर से बनाया गया है. इसका वजन 3500 किलो हैं और इस अगरबत्ती की लागत पांच लाख से ऊपर है. अगरबत्ती को तैयार करने में 6 महीने का समय लगा है, इस अगरबत्ती को वड़ोदरा से अयोध्या के लिए 110 फीट लंबे रथ में भेजा जाएगा. अगरबत्ती बनाने वाले के अनुसार एक बार इसे जलाने पर यह डेढ़ महीने तक लगातार जलती रह सकती है.

अयोध्या के राम मंदिर में भगवान रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात भगवान श्री राम की चरण पादुकाएं भी वहां पर रखी जाएंगी. वर्तमान में चरण पादुकाएं संपूर्ण देश में घुमाई जा रही हैं. चरण पादुकाएं 19 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगी. इन्हें हैदराबाद के श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने तैयार किया है. उन्होंने भगवान श्रीराम की चरण पादुकाओं के साथ अयोध्या की 41 दिनों तक परिक्रमा की थी. भगवान श्री राम की चरण पादुकाओं को रामेश्वरम धाम से लेकर बद्रीनाथ तक सभी प्रसिद्ध मंदिरों में ले जाया जा रहा है और उनकी विशेष पूजा की जा रही है.

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