टिहरी में गंगा नदी को प्रदूषित करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की लैब रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
नैनीताल (विशेष संवाददाता) – उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने टिहरी की पवित्र गंगा नदी में फ्लोटिंग हट और रेस्टोरेंट द्वारा मांसाहारी भोजन समेत मलमूत्र डालने के खिलाफ दायर जनहित याचिका में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 5 जनवरी तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की लैब रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। उच्च न्यायालय ने यह भी बताने को कहा है कि वहाँ पर कोई ऐसी गतिविधयां तो नही चल रही हैं जिसकी वजह से लोगों की भावनाएँ आहत हो रही हों?
गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि उन्होंने 15 व 16 दिसम्बर 2023 को इसका औचक निरीरक्षण किया था। वहाँ के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की लैब रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। रिपोर्ट आने के बाद भी अगर दोबारा निरीक्षण की जरूरत पड़ती है तो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जाँच करने को तैयार है। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी के लिए रख दी है।
पौड़ी निवासी नवीन सिंह राणा ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी की गंगा में फ्लोटिंग हट और रेस्टोरेंट चलाने की अनुमति दी गयी है। लेकिन इस अनुमति का दुरुपयोग किया जा रहा है, रेस्टोरेंटों संचालक पवित्र गंगा नदी में मांसाहारी भोजन का वेस्ट डाल रहे हैं। इतना ही नहीं इनका मलमूत्र भी सीधे गंगा में जा रहा है। इससे करोड़ो सनातनियों की भावनाओ को ठेस पहुंच रही है।