अयोध्या में निर्माणाधीन रामलला मंदिर का आकर्षण केवल भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं वरन इस गौरव स्थल ने अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है

उत्‍तराखण्‍ड राष्ट्रीय लखनऊ

अयोध्या (विशेष संवाददाता) – सम्पूर्ण विश्व में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा दिवस की बेहद अधीरता से प्रतीक्षा की जा रही है। अयोध्या में बन रहे रामलला जन्म स्थान मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है। यद्यपि भव्यता और पूर्णता के लिये तो लगभग एक वर्ष और लगेगा पर 22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण प्रतिष्ठा आयोजन की लगभग सभी तैयारी हो चुकी है। इस समारोह की तैयारी तीन स्तरीय चल रही है। एक ओर मंदिर के स्वरूप की पूर्णता, दूसरी ओर अयोध्या को भारतीय संस्कृति के अनुरूप एक सोलर सिटी का स्वरूप देने का प्रयास और तीसरा प्राण प्रतिष्ठा समारोह का पूरे भारत और संसार के अन्य श्रृद्धालुओं के लिये लाइव टेलीकास्ट करने का प्रबंध। इन तीनों दिशाओं का कार्य भी अब पूर्णता की ओर है। 17 से 22 जनवरी तक संपन्न होने वाला पाँच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ 48 दिनों का मंडल पूजन और मंडलाभिषेकम् आयोजन भी होगा जो सात मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा। इसमें देश विदेश के वे श्रद्धालु भाग लेगें जो स्थानाभाव के कारण पाँच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में सम्मिलित नहीं हो सकेंगे। रामलला जिस सिंहासन पर विराजमान होंगे वह सिंहासन भी अयोध्या पहुंच गया है।

अयोध्या नगर को उसके प्राचीन स्वरूप और वैभव के साथ एक “सोलर सिटी” के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। भगवान राम ने सूर्यवंश में अवतार लिया था और भगवान सूर्यदेव अपनी ऊर्जा से पूरे संसार को जीवन न देते देते हैं। इसी कल्पना को आकार देने के लिये पूरा नगर सौर ऊर्जा से ही प्रकाशित होगा । इसके लिये पूरे अयोध्या में स्तंभ लगाये जा रहे हैं। इन स्तंभों को दो नाम दिये गये हैं। एक सूर्य स्तंभ और दूसरा श्रीराम स्तंभ। इन स्तंभों पर प्राचीन भारतीय संस्कृति के दिये गये हैं। एक सूर्य स्तंभ और दूसरा श्रीराम स्तंभ। इन स्तंभों पर प्राचीन भारतीय संस्कृति के चित्र और अभिलेख पंक्तियाँ होंगी। इन स्तंभों के माध्यम से पूरे नगर को ऐसा साँस्कृतिक स्वरूप देने का भी प्रयास किया जा रहा जिससे इस नगर में आने वाले श्रद्धालुओं को त्रेता युग की संस्कृति का आभास हो मंदिर सके। हर स्तंभ का अपना उपनाम भी होगा। नगर के चौराहों और मार्गों के नाम भी इन स्तंभों के नाम और उपनाम के आधार पर होगें जैसे सूर्य स्तंभ, श्रीराम स्तंभ धर्मपथ, भक्तिपथ और रामपथ आदि।

अयोध्या में रामजन्म स्थान पर निर्माणाधीन रामलला मंदिर का आकर्षण केवल भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं रह गया है। इस गौरव स्थल ने अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है। मंदिर निर्माण में सहयोग के लिये पूरी दुनियाँ के श्रृद्धालु आतुर हैं। यह सहयोग आर्थिक भी और भावनात्मक भी। आर्थिक सहयोग के संदेश भी अनेक देशों से आ रहे हैं पर नियम प्रक्रिया के चलते अभी तक यह संभव न हो पा रहा था। अब इन नियम प्रक्रियाओं का कुछ सरलीकरण हुआ है, वहीं मंदिर निर्माण में श्रमदान करने और मंदिर दर्शन के लिये आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करने की इच्छा भी अनेक विदेशी श्रद्धालु इच्छा जता रहे हैं। कुछ पर्यटक तो पर्यटन वीजा पर अयोध्या के दर्शन को अभी से आ गये हैं।

‘रामलला’ के भव्य अभिषेक के लिए यूक्रेन और रूस सहित 7 महाद्वीपों और 155 देशों से पवित्र जल आया है। इसके अतिरिक्त प्रतीक के रूप में थाईलैंड से पवित्र नदी का जल के साथ मिट्टी भी भेजी गई है। विश्व हिन्दू परिषद की पहल पर 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का विदेशों में भी लाइव प्रसारण किया जायेगा। दुनिया के अस्सी देशों में विश्व हिन्दु परिषद की शाखाएँ हैं। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारी रामनगरी अयोध्या में तो चल ही हैं वहीं भारत में भी 22 जनवरी को एक भव्य उत्सव के रूप में मनाने की तैयारी चल रही है। भारत में जितने मठ मंदिर हैं सबको 17 जनवरी से सजाया जायेगा और 22 जनवरी को इन सभी धर्म स्थलों में लाइव प्रसारण के साथ विशेष पूजा अर्चना भी होगी। इसके साथ ही देश के लगभग दस हजार से अधिक ऑडिटोरियम, खेल मैदान, और अन्य प्रकार के स्टेडियम का चयन किया गया है जिनमें 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जाएगा।

Sriram mandir news

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *