अयोध्या – प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अधोध्या में बना राम मंदिर सनातन प्रेमियों के लिए खास महत्व रखता है. यह मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई है, जिसमें लगभग 500 साल का समय लगा है. ऐसे में अयोध्या राम मंदिर का खास धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही इससे प्राचीन इतिहास भी जुड़ा है. अब रामलला वर्षों बाद टेंट से निकलकर मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं और यह समय भक्तजनों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है. अयोध्या में मंदिर विवाद से लेकर विध्वंस और मंदिर निर्माण की घटनाएं देख गोस्वामी तुलसीदास द्वारा श्रीरामचरितमानस के बालकांड में लिखा यह दोहा याद आता है कि “होइहि सोइ जो राम रचि राखा” यानी होगा वही जो राम ने लिख रखा है. आज वर्षों बाद भी वही हुआ जो प्रभु श्रीराम की इच्छा थी.
अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आगामी 22 जनवरी 2024 को होने वाली है. इस समारोह को भव्य बनाने की पूरी तैयारियां की जा रही है और मंदिर के साथ ही पूरी अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. इससे पहले अयोध्या नगरी और नगरवासियों को इतनी प्रसन्नता तब हुई होगी, जब प्रभु श्रीराम 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे. लेकिन इस बार का वनवास तो 14 वर्ष नहीं बल्कि लगभग 500 वर्षों का है. ऐसे में जाहिर है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में कोई कसर नहीं रहनी चाहिए. आइये जानते हैं तुलसीदास द्वारा लिखि भगवान श्रीराम पर दोहे और उनका अर्थ –
होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा ॥
अस कहि लगे जपन हरिनामा।
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा ॥
अर्थ: जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा. तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ाए. यानि भविष्य के बारे में सोचकर क्यों बात को विस्तार देना. ऐसा कहकर शिवजी भगवान श्रीहरि का नाम जपने लगे और सीताजी वहां गईं, जहां सुख के धाम प्रभु श्री रामचंद्रजी थे.
नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून। अंक गएँ कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून।।
अर्थ: संसार में केवल श्रीराम नाम का ही अंक है, उसके अलावा शेष सब शून्य. अंक के न रहने पर कुछ भी प्राप्त नहीं होता. लेकिन शून्य के पहले अंक के आने पर वह दस गुना हो जाता है. इसलिए राम नाम का जप करते ही साधक को दस गुना लाभ की प्राप्ति होती है.
राम नाम जपि जीहँ जन भए सुकृत सुखसालि। तुलसी इहो जो आसली गयो आज की कालि।।
अर्थ: जिन लोगों के जिह्वा पर हमेशा राम नाम का जाप रहता है, वो सभी दुखों से मुक्त होकर परम मुखी और पुण्यात्मा हो जाते हैं. लेकिन जो आलस्य के कारण इस नाम से विमुख रहते हैं, उनका वर्तमान और भविष्य नष्ट समझना चाहिए.
नाम राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु । जो सुमिरन भयो माँग तें तुलसी तुलसीदासु ।।
अर्थ: कलयुग संसार में सिर्फ राम नाम ही ऐसा कल्पवृक्ष है, जो मनोवांछित फल प्रदान करने वाला और परम कल्याणकारी है. इसका सुमिरन करने से तुलसी भांग से बदलकर तुलसी के समान हो गए हैं. यानी काम, भोग, लोभ, वासना, मोह आदि विषय विकारों से मुक्त होकर पवित्र, VIEWIN APP और ईश्वर के प्रिय हो गए हैं.
राम नात रति राम गति नाम बिस्वासा।
सुमिरत सुभ मंगल कुसल दुहुँ दिसि तुलसीदास ।।
अर्थः तुलसीदास जी कहते हैं, जिन मनुष्यों का राम नाम से प्रेम है, जिनकी राम ही एकमात्र गति हैं, जो राम नाम में अगाध विश्वास रखते हैं, राम नाम का स्मरणमात्र करने से ही लोक और परलोक में उनका शुभ-मंगल हो जाता है.