अयोध्या। पूरा राष्ट्र राममय है और राम राष्ट्रमय है। भारत के कण-कण में राम हैं। यह जो सदियों से सत्य सनातन संस्कृति की धारा प्रवाहित हो रही है, एक तरह से उस पर आक्रमण कर उसको रोकने का दुष्प्रयास किया गया था। राम मंदिर उस सांस्कृतिक धारा को संस्कृति के प्रवाह को अविरल बहने का संदेश है। यह बात बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक व विश्व हिन्दू परिषद, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र संगठन मंत्री सोहन सिंह सोलंकी ने साक्षात्कार में कही।
सोहन सिंह सोलंकी ने कहा कि दुनिया इस बात को समझ ले हिन्दू संस्कृति किसी के रोकने से रूकने वाली नहीं है। यह सत्य सनातन संस्कृति है। सनातन का मतलब है जिसका न आदि है न अंत। इसलिए आज भारत का बच्चा-बच्चा राम के लिए आतुर है। प्रत्येक व्यक्ति राम के लिए आतुर है। वह गांव में रहता होगा, वह मुहल्ले में रहता होगा, शहर में रहता होगा झोपड़ी में रहता होगा, वह गरीब या अमोर हो, किसान होगा कालेज में पढ़ने वाला युवा होगा या युवती हो। प्रत्येक अपने को राम से जोड़ना चाहता है। यही भारत की ताकत है।
प्रस्तुत है बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक सोहन सिंह सोलंकी से बातचीत के अविस्मरणीय अंश –
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को आप किस रूप में देखते हैं?
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा ने भारत की सुप्त आत्मा को जागृत करने का काम किया है। जिसके लिए अनेक वर्षों से हिन्दू समाज संघर्ष कर रहा है यह उसके लिए बहुत बड़ा शुभ दिन आया है। विनायक दामोदर सावरकर ने भारत के छह स्वर्णिम पृष्ठ नामक पुस्तक में लिखा है कि भारत ने कब अपने इतिहास के छह स्वर्णिम पृष्ठ लिखे हैं। 22 जनवरी को भारत के इतिहास का सातवां स्वर्णिम पृष्ठ जुड़ने वाला है जब भारत में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। यह केवल राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं है। यह करोड़ों-करोड़ लोगों की जनभावनाओं की आकांक्षाओं की अपेक्षाओं की प्राण प्रतिष्ठा है यह उन असंख्य बलिदानियों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने इस आन्दोलन में न केवल आन्दोलन में ही बल्कि पहले ही दिन से 1528 में जब मंदिर को तोड़ा गया तब से लेकर आज तक जितने भी लोगों ने बलिदान दिये उन सभी हुतात्माओं को श्रद्धांजलि भी है और देश उनकी कृतज्ञता को नमन करता है।
राम मंदिर के निर्माण से देश में क्या परिवर्तन आयेगा?
राम मंदिर के निर्माण से राष्ट्र का निर्माण होने वाला है। राम मंदिर के निर्माण से भारत में रामराज्य आने वाला है। भारत जो कभी आर्थिक सामरिक, सांस्कृतिक हर दृष्टि से दुनिया के अंदर सर्वश्रेष्ठ ताकत था। इस राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से वह दुनिया के अंदर फिर से होने वाला है। भारत की जयजयकार दुनिया में हो रही है। दुनिया सुन रही है भारत के कुछ लोग ऐसे हैं जिनको यह आवाज सुनाई नहीं दे रही है लेकिन उनका भी भगवान कल्याण करे।
राम मंदिर आन्दोलन के प्रारम्भ में अयोध्या, मथुरा और काशी की मुक्ति की बात उठाई गयी थी। आगे की योजना क्या है?
पूज्य संतों ने ही राम मंदिर आन्दोलन शुरू करने का आदेश दिया था। हमने तो नारा लगाया था यह तो अभी झांकी है मथुरा काशी बाकी है। इसलिए 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूज्य संतों की बैठक में विश्व हिन्दू परिषद अपनी बात रखेगा। जैसा आदेश होगा विश्व हिन्दू परिषद और उसकी युवा इकाई बजरंग दल व दुर्गा वाहिनी वह जैसा कहेंगे हम फिर से वैसा करने के लिए हम तैयार हैं।
राम मंदिर आन्दोलन में बजरंग दल की प्रमुख भूमिका रही है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के इस पूरे परिदृश्य से बजरंग दल गायब है?
बजरंग दल का जन्म ही राम मंदिर के लिए हुआ था। इसलिए जिस लक्ष्य को लेकर बजरंग दल का जन्म हुआ वह लक्ष्य पूरा हो रहा है। इसलिए इस पूरे आन्दोलन में 1984 से लेकर आज तक पग-पग पर बजरंग दल की भूमिका रही है। अभी इस प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में बजरंग दल के जितने कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है उतने कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है और वह लगे हैं। आने के लिए हजारों तैयार हैं लेकिन पूरे देश में अक्षत वितरण व संपर्क का कार्यक्रम चल रहा है। बजरंग दल के लाखों कार्यकर्ता करोड़ों परिवार में जाकर निमंत्रण दे रहे हैं। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम गांव-गांव होना है उसमें भी बजरंग दल के कार्यकर्ता अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बलिदानी कारसेवकों के परिजनों को बुलाया गया है कि नहीं?
राम मंदिर आन्दोलन में जो कारसेवक बलिदान हुए हैं वह चाहे 1990 की कारसेवा में बलिदान हुए हों या गोधरा में जो ट्रेन रोककर जलाई गयी थी उनमें बलिदान हुए हों उन सबके परिजनों को आमंत्रण गया है। लेकिन आन्दोलन में लाखों कारसेवक अयोध्या आये थे। इसलिए 26 जनवरी से 18 फरवरी तक पूरे भारत के सभी प्रान्तों को तारीख दी गयी है। यहां पर रामभक्तों के भोजन व आवास की व्यवस्था रहेगी।
देशभर में चल रहे अक्षत वितरण को समाज किस रूप में ले रहा है?
जब अयोध्या से अक्षत का कलश लेकर लोग गये लोगों ने सोचा नहीं होगा कि इसका कितना बड़ा परिणाम होगा लेकिन आज उस अक्षत कलश की गांव-गांव पूजा हो रही है। स्वागत हो रहा है हजारों लोग शोभायात्रा में शामिल हो रहे हैं। कोई कल्पना कर सकता है कि चिकित्सक, इंजीनियर, प्रोफेेसर और कालेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी प्रातः उठकर राम संकीर्तन यात्रा निकाल रहे हैं। यह वास्तव में भारत की सुप्त आत्मा है। यही भारत को दुनिया के अंदर सर्वशक्तिशाली बनायेगी।
आज भी समाज में जातिगत भेदभाव होता है, इसे आप किस रूप में देखते हैं?
भारत के अंदर हर व्यक्ति में बैठी जो रामभक्ति है जो राष्ट्रभक्ति है उसको हम नमन करते हैं। यही कारण है कि जिसके कारण भारत के अंदर कितने प्रयास कर लें लोग भारत को जातियों में तोड़ने का लेकिन राम वह शक्ति है जिसने भारत को जोड़कर रखा है। राजनीति तोड़ती है धर्म जोड़ता है। राम मंदिर ने देश को जोड़ दिया है। अनेक षड़यंत्रकारी शक्तियों ने इस देश के अंदर हिन्दू समाज को जातियों में उपजातियों में अलग-अलग तरीके से तोड़ने का षड़यंत्र रच रहे हैं। आज भारत के अंदर हमारे कोई भी बंधु किसी को अगर मंदिर में प्रवेश न मिले तो यह अपमान भगवान का है उस व्यक्ति का नहीं है। इसलिए छुआछूत ऊंचनीच जातिगत भेदभाव छोड़ें हम सब राम के हैं राम हमारे हैं।
राम के जीवन से समाज को क्या सीख लेनी चाहिए?
आज जन-जन को राम के जीवन के बताये हुए संदेश के अनुसार जीने की जरूरत है। शबरी माता से मिलने के लिए जब राम जी पहुंचे तो माता शबरी ने कहा था कि आप रावण को मारने के लिए आये मुझसे मिलने नहीं आये, तब राम ने कहा कि रावण को तो लक्ष्मण भी मार सकते थे। मैं तो माता शबरी को प्रणाम करने आया हूँ। ताकि भारत के अंदर जब रामराज्य का इतिहास आने वाली पीढ़ियां पढ़ें तब दुनिया को यह समझ में आना चाहिए कि भारत में रामराज्य शबरी माता के आशीर्वाद से निषाद और केवट को गले लगाने से रामराज्य आता है। हम सब भारत मां की संतान हैं। हम सब एक हैं। इस भाव के जागरण की बहुत आवश्यकता है। अपने निजी स्वार्थों को छोड़कर देश के लिए धर्म के लिए जीने के लिए जरूरत है। आज दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। हम दुनिया को मार्गदर्शन कर सकें ऐसे भारत का निर्माण हमको करना है।