हरिद्वार (पंकज चौहान) – अयोध्या में आगामी वर्ष के प्रारम्भ में 22 जनवरी को भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर पुर्नस्थापित भव्य मंदिर में रामलला की विग्रह मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। 500 वर्षों के विकट संघर्षों के पश्चात आने वाले हिन्दू समाज द्वारा संकल्पित इस समय को लेकर सनातन धर्मावलंबी समेत सम्पूर्ण विश्व के रामभक्त बेहद उत्साहित है। सभी लोग इस विलक्षण समय के साक्षी बनना चाहते हैं। संपूर्ण भारत के साथ–साथ उत्तराखण्ड की जनता भी बेहद उत्साहित हैं। भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भगवान के अभिषेक हेतू देवभूमि उत्तराखण्ड की 28 पवित्र नदियों का जल अयोध्या भेजा जा रहा है। गंगा, अलकनन्दा, भागीरथी, विष्णु गंगा, मंदाकिनी, यमुना, राम गंगा, गोरी गंगा, काली गंगा, कोसी, पिंडर नदी आदि का जल भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय पूजन विधि में उपयोग किया जाएगा।
देवभूमि उत्तराखण्ड की पवित्र नदियों के जल से भरा जल कलश विश्व हिन्दू परिषद उत्तराखण्ड के प्रांत कार्यालय हरिद्वार लाया गया। प्रांत कार्यालय पर पवित्र जल कलश का विधिवत पूजन–अर्चन कर आरती की गई। पवित्र जल कलश को अयोध्या पहुंचाने की जिम्मेदारी एक संक्षिप्त कार्यक्रम में सोहन सिंह सोलंकी, क्षेत्रीय संगठन मंत्री मेरठ क्षेत्र तथा अजय कुमार, प्रांत संगठन मंत्री, उत्तराखण्ड ने संयुक्त रुप से रंदीप पोखरिया प्रान्त सहमंत्री विश्व हिन्दू परिषद उत्तराखण्ड को दी। विगत समय अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतू उत्तराखण्ड में निधि समर्पण अभियान के प्रमुख रहें रंदीप पोखरिया को वर्तमान में अयोध्या में पूजित अक्षत कलश को अयोध्या से उत्तराखण्ड लाने की जिम्मेदारी भी दी गई थी।
विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्र संगठन मंत्री सोहन सिंह सोलंकी ने बताया कि उत्तराखण्ड की 28 पवित्र नदियों के पवित्र जल को अयोध्या ले जा रहा है। श्री राम मंदिर को लेकर उत्तराखण्ड की रामभक्त जनता बेहद उत्साहित हैं। भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को भव्य–दिव्य, ऐतिहासिक, अविस्मरणीय बनाने के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट निरंतर तैयारियों में जुटा है। भगवान रामलला की विग्रह मूर्ति का अभिषेेक देश की प्रमुख व पवित्र नदियों और जलस्रोतों से एकत्र जल से किया जाएगा। देश के सभी प्रांतों से औसतन 200 ग्राम जल तांबे के बर्तन में धार्मिक अनुष्ठान के बाद रखकर अयोध्या भेजा जा रहा हैं। अयोध्या में संग्रहित जल को एक टैंक में सुरक्षित किया जाएगा, तत्पश्चात इस पवित्र जल से भगवान रामलला का अभिषेक किया जाएगा।