सेवा समर्पण त्याग व धर्म के पर्याय बाबा तरसेम सिंह की हत्या से स्तब्ध हैं – आलोक कुमार

नई दिल्ली (स.ऊ.संवाददाता) – देवभूमि उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर में नानकमत्ता गुरुद्वारे के डेरा कार सेवा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह जी की नृशंस हत्या पर विश्व हिन्दू परिषद ने गहरा दुख व्यक्त किया है। विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने आज कहा है कि बाबा तरसेम सिंह सेवा, समर्पण, […]

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महर्षि दयानंद के सिद्धांतों को जीवन चरित्र में धारण करने पर ही सर्वसमाज का उत्थान संभव – स्वामी यतीश्वरानंद

हरिद्वार (पंकज चौहान) – महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती के 200 वीं जयती के उपलक्ष्य में वेद मंदिर आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने कहा कि वेदों का अध्ययन कर उनके बताए मार्ग पर चलकर राष्ट्र की उन्नति एवं विकास करते हुए अपने परिवारों को सुखी रख सकेंगे। सत्यार्थ प्रकाश […]

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विनायक दामोदर सावरकर प्रथम क्रांतिकारी, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के मुख्य केन्द्र लंदन में भारत की स्वाधीनता हेतू उसके विरुद्ध सशस्त्र क्रांतिकारी आंदोलन को संगठित किया था…

हरिद्वार (पंकज चौहान) – सावरकर भारत के प्रथम क्रांतिकारी थे, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के मुख्य केन्द्र लंदन में ही उसके विरुद्ध सशस्त्र क्रांतिकारी आंदोलन को संगठित किया था. वीर सावरकर वह प्रथम भारतीय नागरिक थे, जिन्होंने भारत के लिये पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की थी. वीर सावरकर भारत के वह प्रथम क्रांतिकारी लेखक थे, जिन्होंने […]

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महान समाज सुधारक संत शिरोमणि गुरू रविदास के विचारों से हो रहा उत्थान: स्वामी यतीश्वरानंद

हरिद्वार (पंकज चौहान) – संत शिरोमणि गुरु रविदास की जयंती पर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने कहा कि संत रविदास बेहद धार्मिक स्वभाव के थे, उन्होंने जातिवाद, पाखंडवाद से दूर रहकर सभी के उत्थान की बात की। उन्हें हमेशा महान समाज सुधारक के रूप में […]

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उत्तराखण्ड की महान विभूति मुंशी हरिप्रसाद टम्टा, जिनकी वजह से वर्तमान उत्तराखण्ड में दलित समुदायों की स्थिति पहले से बेहद उत्कृष्ट दिखाई देती है…

हरिद्वार (पंकज चौहान) – अट्ठारहवीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के समय भारत के कुमाऊँ-गढ़वाल मंडलों में कथित जातिवादी उत्पीड़न अपने चरम पर था। मुंशी हरिप्रसाद टम्टा का नाम उन राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं में प्रमुखता से लिया जाता हैं, जिन्होंने इस सामाजिक भेदभाव के खिलाफ कठिन लड़ाई लड़ी और दलितों के उत्थान के लिए काम किया था। […]

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