हरिद्वार (पंकज चौहान) – विश्व हिन्दू परिषद मेरठ प्रान्त के प्रचार प्रसार विभाग के प्रान्त प्रमुख अवधेश पाण्डेय ने श्री राम जन्मभूमि पर पुर्नस्थापित राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात भगवान के दर्शनों हेतू श्री अयोध्या की यात्रा की उसी समय उनके मन अवचेतन में भावों का जो प्रगटीकरण हुआ, उन भावों को उन्होंने शब्दों में गढ़कर कर प्रस्तुत किया है…
जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि।
उत्तर दिसि बह सरजू पावनि॥
जा मज्जन ते बिनहिं प्रयासा।
मम समीप नर पावहिं बासा॥
अवध वासियों के लिए उपर्युक्त पंक्तियाँ बार बार अयोध्या जी जाने और सरयू स्नान की लगातार मिलने वाली प्रेरणा हैं। अत: अयोध्यापुरी तीर्थ में जाने का सौभाग्य हमें निरन्तर मिलता ही रहता है। किन्तु इस बार संगठन की योजना से श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित श्रीराम लला के समक्ष उपस्थित होने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता बन्धुओं संग श्री हनुमान गढ़ी, छोटी देवकाली माता मंदिर, सरयू मैया के पवित्र जल से श्री नागेश्वर नाथ महादेव का जलाभिषेक करने एवं तुलसी उद्यान में श्री तुलसीदास जी महाराज को नमन करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ।
अयोध्या जी का वैभव, हिन्दू समाज के प्रबल शौर्य और धैर्य की पराकाष्ठा का जीवन्त प्रमाण है। लगातार 500 वर्षों तक संघर्ष करते हुये, इस पराक्रमी समाज ने अपनी महान संस्कृति के आदर्श और आराध्य के जन्मस्थान को विधर्मियों के कब्जे से मुक्ति दिलाने हेतु असंख्य बलिदान दिये एवं इस एक लक्ष्य की पूर्ति के लिए, अनगिनत महापुरुषों ने अपनी आयु का क्षण क्षण हवन भी कर दिया। हिन्दू समाज ऐसे सभी ज्ञात अज्ञात महापुरुषों के प्रति कृतज्ञ भी है एवं उनको बार बार प्रणाम निवेदित करता है। इस बार अयोध्या जी में हिन्दू समाज के जागृत पराक्रम मात्र ही नहीं, अपितु महान सेवा परम्परा के भी दर्शन होते हैं।
वहाँ कड़कड़ाती ठण्ड में आवास, सुरक्षा, जल, चाय, भोजन, चिकित्सा, परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं में भारतवर्ष के विभिन्न भागों से आये हुए एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद् के नेतृत्व में प्रबल उत्साहित मन से लगे, विभिन्न संस्थाओं के श्री हनुमान सदृश कार्यकर्ताओं के दर्शन और सानिध्य का पुण्य लाभ भी प्राप्त हुआ। सार यह है कि वर्तमान में हम सबकी अयोध्या जी, हिन्दू समाज के पराक्रम और सेवाभाव का अद्भुत उदाहरण समूचे विश्व के समक्ष रख रही है। अत: यदि किसी भी भाँति संयोग बने, तो आगामी फरवरी माह तक वहाँ अवश्य जायें। कारण कि अपने आराध्य को उनकी जन्मभूमि में भव्यता के साथ, प्रतिष्ठित देखकर, असीम मानसिक संतुष्टि प्राप्त होने के साथ साथ, वहाँ बिताया एक एक पल, हमारे जीवन की अविस्मरणीय निधि बनने वाला है।
बरनत छबि जहँ तहँ सब लोगू।
अवसि देखिअहिं देखन जोगू।।
सियावर राम चन्द्र की जय।
लेखक – अवधेश पाण्डेय, प्रान्त प्रमुख, प्रचार प्रसार विभाग, विश्व हिन्दू परिषद मेरठ