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अवसर हमें स्वयं ढूंढने पड़ते है – रोहित चौहान

हरिद्वार (पंकज चौहान) – ईश्वर ने हमें जिंदगी जीने का अवसर दिया। जिंदगी कैसे जीनी है, कहां जीनी है? इसके लिए अवसर हमें स्वयं ढूंढने पड़ते हैं। साधारण को असाधारण बनाने का आधार ही अवसर है। जीवन मे जिंदगी को उदाहरण के रूप में पेश करने के लिए सबको एक बार ईश्वर अवसर जरूर देता है। जिसने अवसर पहचाना, उसे दुनिया ने जाना। जिसने अवसर गवाया, असल में उसने जिंदगी गवाई है। सही समय पर, सही दिशा में, सही स्थिति में किया गया कार्य ही तो अवसर है। इंसान को अवसर मिलते नही है, उन्हें बनाना पड़ता है। हम अवसर का इंतजार करते हुए समय व्यर्थ कर देते है। दुर्गम से सुगम होने की प्रक्रिया ही अवसर है। बिना पराक्रम, बिना पुरुषार्थ, बिना परिश्रम के बीज रोपने से अवसर का पेड बड़ा नही होता हैं। बीज में निरंतरता का जल, समर्पण का खाद डालने के परिणामस्वरूप अवसर के पेड़ पर फल लगता है। यही सुअवसर बनता है। लेखक – रोहित चौहान

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