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सूर्यदेव के उत्तरायण होते ही प्रारंभ होगा भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का विधि–विधान कार्यक्रम।

अयोध्या (विशेष संवाददाता) – अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण–प्रतिष्ठा आगामी 22 जनवरी को होगी। भगवान रामलला की विग्रह मूर्ति 15 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह में पहुंच जायेगी। 16 जनवरी को विग्रह के अधिवास अनुष्ठान के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा का विधान प्रारंभ हो जाएगा। यह विधान मकर संक्राति को सूर्यदेव के उत्तरायण होते ही प्रारंभ होगा। वर्तमान समय में सूर्यदेव दक्षिणायन हैं।

15 जनवरी को रामलला का चयनित विग्रह गर्भगृह में पहुंचाया जाएगा।

16 जनवरी को अधिवास अनुष्ठान से प्रारंभ होगा प्राण–प्रतिष्ठा कार्यक्रम।

17 जनवरी को रामलला के विग्रह को कराया जाएगा नगर भ्रमण।

18 जनवरी को प्राण–प्रतिष्ठा विधि होगी प्रारंभ।

19 जनवरी को होगी यज्ञाग्नि स्थापना।

20 जनवरी को गर्भगृह को 81 कलश सरयू जल से धोने के बाद वास्तु शांति और प्रतिमा का अन्नाधिवास होगा।

21 जनवरी को रामलला को तीर्थों के 125 कलशों के जल से कराया जाएगा स्नान।

22 जनवरी को मध्याह्न मृगशिरा नक्षत्र में होगी प्राण प्रतिष्ठा।

प्राण–प्रतिष्ठा में वैदिक क्रियाओं से विग्रह में जीवन को प्रतिष्ठित करने का उपक्रम होता है। अधिवास में विग्रह को जीवन कारक अनाज, जल, फलों में रखा जाता है। कम से कम तीन दिन के पूजन के उपरांत विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। काशी के वैदिक विद्वान पं.लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजन कराएंगे।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या ने अलग-अलग शिलाओं से तीन विग्रहों का निर्माण कराया है। देश के प्रख्यात मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कर्नाटक की श्याम शिला से एक विग्रह, बी. सत्यनारायण ने राजस्थान की श्वेत शिला और गणेश भट्ट ने कर्नाटक की दूसरी श्याम रंग की शिला से बाल स्वरूप रामलला का विग्रह तैयार किया है।

अभी इन विग्रहों को सुरक्षित रखा गया है। 28 दिसंबर से प्रारंभ होने वाली मंदिर निर्माण समिति की बैठक में गर्भगृह में स्थापना के लिए विग्रह का चयन किया जा सकता है। जनवरी के पहले सप्ताह में ट्रस्ट इस संबंध में घोषणा कर सकता है। चयनित विग्रह को गर्भगृह में सुरक्षित रखा जाएगा। इस अवधि में केवल आचार्यगण ही गर्भगृह में प्रवेश कर पाएंगे।

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